मनोज जैसवाल : नवरात्र शुरू हो रहे हैं। जनता व्रत और पूजा पाठ के जरिए मां की भक्ति कर रही है। नौ दिन तक व्रत रखने वाले व्रती इन दिनों फलाहार करते हैं जिसमें कुट्टू का आटा, सामक चावल,सिंघाड़े का आटा, दही, आलु जैसी चीजें ही खाई जा सकती हैं। लेकिन मिलावटी जमाने में देवी के व्रत भी मिलावट से नहीं बच पाए हैं और फलाहारी सामान में मिलावट का दौर जोरों पर है। पिछले नवरात्र में कुट्टू का मिलावटी आटा खाने से सैंकड़ों लोगों के बीमार पड़ने की खबर अभी भी दिल दहला रही है। यदि आप भी नवरात्र के व्रत करना चाह रहे हैं तो जान लीजिए कि कहीं मिलावटी फलाहारी सामान तो नहीं खरीद रहे।
क्या है कुटटू?
दरअसल कुट्टू चावल की एक प्रजाति है और ये ठंडे व पहाड़ी इलाकों में बोया जाता है। कुटटू का बॉटनिकल नाम फैगोपाएरम-एफक्यूलैंटम है। यह एक हाई प्रोटीन फूड है। इसे स्टोर करके रखना खतरनाक होता है क्योंकि नमी होने पर इसमे फंगस की संभावना बढ़ जाती है। यह फंगस ही फलाहारियों के स्वास्थ्य के लिए घातक होती है। यदि फंगस युक्त कुट्टु का आटा खाकर बीमार हो जाएं तो अपने डॉक्टर की सलाह पर एंटी फंगस दवाएं लेना शुरू कर दीजिए।
खराब कुट्टु की पहचान
यूं तो कुट्टु के चावल को घर में ही पीसकर शुद्ध कुट्टु का आटा तैयार करना चाहिए लेकिन यदि आप ये नहीं कर सकते तो हमेशा कुट्टु के आटे को उस दुकान से खरीदिए जहां इसकी ज्यादा बिक्री होती है। खरीदने के बाद देखिए कि आटे का रंग कैसा है। खराब कुटटू के आटे का रंग बदल जाता है। खराब कुट्टू के आटे की महक को सूंघ कर पहचान की जा सकती है। खराब कुट्टू में अलग सी महक आने लगती है, कुछ हीक जैसी। यदि मांडने पर आटा ज्यादा बिखर रहा हो या ज्यादा चिकना हो रहा हो तो समझ लीजिए कि इसमें अरारोट मिलाया गया है।
फलाहार में मिलावट
फलाहार में दुकानदार मुनाफा कमाने के चक्कर में कई तरह की मिलावट करते हैं। ये मिलावट हमारा व्रत को खंडित करती है साथ ही हमारी सेहत के लिए भी खतरनाक है। नीचे दिए गए फलाहार में कुछ इस तरह से होती है मिलावट.
कुट्टू क़ा आटा-चावल का चोकर
मखाना सत्तू - मकई
सिंघाड़ा के आटा - मैदा
कुट्टु और सिंघाड़े का आटा - अरारोट
गुड़ - गेहूं का चोकर
क्या है कुटटू?
दरअसल कुट्टू चावल की एक प्रजाति है और ये ठंडे व पहाड़ी इलाकों में बोया जाता है। कुटटू का बॉटनिकल नाम फैगोपाएरम-एफक्यूलैंटम है। यह एक हाई प्रोटीन फूड है। इसे स्टोर करके रखना खतरनाक होता है क्योंकि नमी होने पर इसमे फंगस की संभावना बढ़ जाती है। यह फंगस ही फलाहारियों के स्वास्थ्य के लिए घातक होती है। यदि फंगस युक्त कुट्टु का आटा खाकर बीमार हो जाएं तो अपने डॉक्टर की सलाह पर एंटी फंगस दवाएं लेना शुरू कर दीजिए।
खराब कुट्टु की पहचान
यूं तो कुट्टु के चावल को घर में ही पीसकर शुद्ध कुट्टु का आटा तैयार करना चाहिए लेकिन यदि आप ये नहीं कर सकते तो हमेशा कुट्टु के आटे को उस दुकान से खरीदिए जहां इसकी ज्यादा बिक्री होती है। खरीदने के बाद देखिए कि आटे का रंग कैसा है। खराब कुटटू के आटे का रंग बदल जाता है। खराब कुट्टू के आटे की महक को सूंघ कर पहचान की जा सकती है। खराब कुट्टू में अलग सी महक आने लगती है, कुछ हीक जैसी। यदि मांडने पर आटा ज्यादा बिखर रहा हो या ज्यादा चिकना हो रहा हो तो समझ लीजिए कि इसमें अरारोट मिलाया गया है।
फलाहार में मिलावट
फलाहार में दुकानदार मुनाफा कमाने के चक्कर में कई तरह की मिलावट करते हैं। ये मिलावट हमारा व्रत को खंडित करती है साथ ही हमारी सेहत के लिए भी खतरनाक है। नीचे दिए गए फलाहार में कुछ इस तरह से होती है मिलावट.
कुट्टू क़ा आटा-चावल का चोकर
मखाना सत्तू - मकई
सिंघाड़ा के आटा - मैदा
कुट्टु और सिंघाड़े का आटा - अरारोट
गुड़ - गेहूं का चोकर
लीचीदाना और बतासा -मैदा और पिसा चावल
देशी घी - एसेंस मिला डालडा घीmanojjaiswalpbt |
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ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਪੋਸਟ ਮਨੋਜ ਠੰਕਸ
जवाब देंहटाएंnice post
जवाब देंहटाएंThis is Great Post
जवाब देंहटाएंआपका आशीर्बाद बना रहे
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