मनोज जैसवाल
भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन और अमेरिकी राजदूत के बीच 2009 में हुई बातचीत का ब्यौरा लीक हुआ है. नारायणन तब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे. नारायणन ने अमेरिकी राजदूत तिमोथी जे रोएमर से कहा कि भारत सरकार लश्कर के आंतकवादी हेडली के मामले में दिखावा कर रही है. सरकार बयानों के जरिए जनता के सामने यह साबित करने में लगी हुई थी कि वह हेडली को अमेरिका से भारत लाना चाहती है.
इस मुद्दे पर जब अमेरिकी अधिकारियों में हलचल होनी शुरू हुई तो नारायणन ने कहा कि सरकार लोगों के बीच अपनी छवि बचाने के लिए हेडली का शोर मचा रही है. अमेरिकी राजदूत से नारायण ने कहा कि सरकार प्रत्यर्पण करवाना ही नहीं चाहती है. रोएमर ने नारायणन से कहा, अगर हेडली दोषी भी साबित होता तो भी भारत की प्रत्यर्पण की गुजारिश को नहीं सुना जाता, तब तक जब तक कि वह अमेरिका में सजा पूरी न काट ले. इसमें दशकों भी लग सकते है.
प्रत्यर्पण की मांग न करे भारत
लीक केबल के मुताबिक अमेरिकी राजदूत ने भारत को याद दिलाया कि वह हेडली के प्रत्यर्पण की मांग न करे. इसके जवाब में तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि अगर सरकार 26/11 के मुख्य हमलावर के प्रत्यर्पण को लेकर तत्परता दिखाएगी तो इससे उसे राजनीतिक फायदा होगा.
लीक दस्तावेज कहते हैं, उन्होंने (रोएमर) ने समझाया कि भारत की प्रत्यर्पण की जिद से हेडली की तरफ से मिल रहा सहयोग फीका पड़ सकता है. उन्होंने जोर दिया कि भारत सरकार को संवेदनशील जानकारियों की इमानदारी से हिफाजत करनी होगी. हाल में मीडिया की अटकलों के बारे में भी याद दिलाया. एक सरकारी सूत्र के हवाले से एफबीआई की ब्रीफिंग की जानकारी होने की बात कही गई. ऐसी स्थिति में हमें भविष्य में किए जा सकने वाले सहयोग और हेडली से मिलने वाली जानकारियां बांटने के बारे में सोचना पड़ सकता है.
विकीलीक्स का यह खुलासा भारत सरकार के लिए बड़े झटके की तरह है. यह पहला मौका है जब केंद्र सरकार पर जनता को गुमराह करने के आरोप लगे हैं. सीपीएम ने सरकार से इस मुद्दे पर जबाव मांगा है. पार्टी नेता डी राजा ने कहा, हमारी सरकार को यह बताना होगा कि क्या वह प्रत्यर्पण को लेकर गंभीर थी.(जनता को गुमराह करना क्या यही राजनीति है)ऍसी राजनीति से भगवान बचाएं !
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