बुधवार

फैशन के नाम पर देह प्रदर्शन क्या सही है ?

at 14:26
मनोज जैसवाल: स्त्री व पुरुष का संबंध घी और आग के समान होता है। यह प्राकृतिक नियम है कि पुरुष, स्त्री की तरफ आकर्षित होता है और स्त्री, पुरुष की ओर। यही शारीरिक आकर्षण है, जिससे सृष्टि चल रही है। दोनों एक-दूसरे के लिए सेक्स ऑब्जेक्ट हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है। गलत तब होता है, जब दूसरे पक्ष के आकर्षण को उभारने के लिए शारीरिक सौंदर्य का प्रदर्शन किया जाता है। और ऐसे प्रदर्शन को सामाजिक रूप से मर्यादित नहीं किया जाता। जब शारीरिक बनावट को जरूरत से ज्यादा या उत्तेजक ढंग से दिखाते हैं, तो उससे युवकों में वासना जागृत होना स्वाभाविक है।

पढ़े-लिखे समझदार और सभ्य लोग तो अपनी भावनाओं को शालीनता से दबा लेते हैं, पर जन साधारण वे अपनी पाशविकता किसी और पर या जो भी उनके सामने आ जाए, उस पर उतारते हैं। इसीलिए आज यौन अपराधों की संख्या बढ़ रही है। शरीर ढका हुआ भी अच्छा सुंदर लगता है। पुराने जमाने की अभिनेत्रियों जैसे मीना कुमारी, सुरैया, मधुबाला, माला सिन्हा, वहीदा रहमान तन शालीनता से ढक कर भी सुंदर लगती थीं। जब मनुष्य जंगलों में जानवरों की तरह रहता था, तो नंगा ही रहता था। जैसे-जैसे मनुष्य ने तरक्की की, नए-नए आविष्कार हुए, घर बनने लगे तो उसने जानवरों की बजाय मनुष्यों की तरह रहना शुरू किया। जब और हमने हर तरफ इतनी उन्नति की है तो क्यों असभ्यों की तरह नंगा रहना चाहते हैं। यदि आपके सामने बस में या रेल में या सड़क पर कोई पुरुष भी नंगा या अधनंगा नजर आए तो आपको कितना बुरा महसूस होगा, कोई भी उसके पास खड़ा रहना पसंद नहीं करेगा तो क्यों स्त्रियां कम से कम कपड़े पहनती हैं।

मुझे यह देखकर बहुत खुशी होती है कि औरतों ने हर जगह पर बहुत उन्नति की है। राजनीति हो या सामाजिक कार्य, खेल कूद या विज्ञान, कोई भी ऐसा कार्य नहीं है, जहां पर वह ऊंचे-ऊंचे पदों पर न हों। फिर क्यों आधुनिकता और फैशन के नाम पर देह प्रदर्शन करने वाली पोशाक को उचित मानती हैं। कोई भी सभ्य समाज इसकी अनुमति नहीं दे सकता। क्या पुरुष वर्ग पूरे कपड़े पहनकर ऑफ़िस नहीं जाता? क्या पुरुषों ने जो उन्नति की है, वह देह प्रदर्शन करके की है तो मैं पूछता हूं हूँ कि क्या स्त्रियां देह प्रदर्शन किए बगैर उत्तेजक व्यवहार किए बिना उन्नति नहीं कर सकतीं। स्लटवाक के जरिए स्त्री मुक्ति की जो लड़ाई लड़ना चाहती है, इसकी आवश्यकता क्या है? जारी..


  manojjaiswalpbt@GMail.com

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8 टिप्‍पणियां

  1. जहा तक अश्लीलता की बात है यह किसी भी समाज में ठीक नहीं है

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  2. जहाँ तक अश्लीलता की बात है यह किसी भी समाज में ठीक नहीं है बाकी महिलायों का दर्द to महिला ही जानती है

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  3. आपकी बात आधी सच है.महिलाओ पर जो बीतती है आप उस पर क्यों नहीं लिखते

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  4. महिलाओ को अपनी मर्यादा जाननी चाहिए यह भारत है

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  5. मनोज जी बात तो सही है हम स्त्रिओ को यह मानना चाहिए

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  6. आपकी बात सच है

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