रविवार

उत्तर प्रदेश में अराजकता चरम पर

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मनोज जैसवाल : राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार से डिप्टी सीएमओ डॉक्टर वाईएस सचान की जिला जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की सीबीआई से जांच नहीं कराने का कारण स्पष्ट करने के लिए नोटिस भेजा है।

आयोग के अध्यक्ष तथा कांग्रेस के सांसद पीएल पुनिया ने बताया कि आयोग ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब डॉक्टर सचान के परिजन उनकी मौत की सीबीआई जांच की लगातार मांग कर रहे हैं, तब वह यह जांच क्यों नहीं करा रही है।

उन्होंने बताया कि सचान की मौत से जुड़े हालात इस मामले में किसी गड़बड़ी की तरफ इशारा कर रहे हैं। लिहाजा, इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए। पुनिया ने बताया कि राज्य सरकार को आयोग की नोटिस का जवाब देने के लिए 10 दिन का वक्त दिया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में अराजकता चरम पर है और राज्य की जेलें और थाने तक सुरक्षित नहीं रह गए हैं।

गौरतलब है कि गत 2 अप्रैल को लखनऊ में हुई मुख्य चिकित्सा अधिकारी बीपी सिंह की हत्या के मुख्य आरोपी डॉक्टर सचान गत 22 जून को लखनऊ जेल के अस्पताल के शौचालय में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। सरकार ने इसे प्रथम दृष्ट्या आत्महत्या का मामला बताया है।

प्रदेश के मंत्रिमण्डलीय सचिव शशांक शेखर सिंह के अनुसार डॉक्टर सचान के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उनकी मृत्यु अत्यधिक खून बहने की वजह से हुई है। प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला लगता है। उन्होंने बताया था कि मृतक के शरीर पर कुल नौ चोटें हैं, जिनमें आठ चोटें धारदार हथियारों से हुई हैं।

इनमें से दो गर्दन पर, दो दाईं कोहनी पर, दो बाईं कोहनी पर, एक दाईं जांघ के ऊपरी हिस्से और एक बाईं कलाई पर थीं। इसके अलावा गले में फंदे का निशान भी पाया गया। दूसरी ओर, सचान के परिजन ने राज्य सरकार की बात को गलत बताते हुए इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।



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