ज्यादातर लोगों के लिए इंटरनेट का मतलब होता है डॉटकॉम। इसीलिए जब इंटरनेट काफी तेजी से दुनिया भर में पहुंचा, तो उसे डॉटकॉम क्रांति कहा गया। हालांकि इस दौरान इंटरनेट वेबसाइट के जो पते हमारी जुबान पर चढ़े, वे सब डॉटकॉम नहीं थे, उनमें से कुछ डॉटनेट थे, कुछ डॉटओआरजी थे और कुछ डॉटजीओवी भी। हर वेबसाइट की अपनी-अपनी खासियतों के अलावा इन सबकी एक खूबी समान थी कि इनमें आपके सारे अनुरोध, सारे आंकड़े, सारी बातचीत, सारी चिट्ठी-पत्री अमेरिका में रखे सर्वरों के जरिये ही आती -जाती थी। बहुत हद तक अब भी ऐसा ही होता है। किसी दफ्तर में बैठा कोई कर्मचारी जब अपने ठीक सामने बैठे सहयोगी को ई-मेल भेजता है, तो वह वाया अमेरिका ही उसके पास पहुंचता है। लेकिन जब इंटरनेट की क्रांति हुई, तो इसे स्वीकार करने के अलावा हमारे पास कोई और चारा भी नहीं था। उस समय नई दिल्ली ही नहीं, सिंगापुर और हांगकांग जैसे एशिया के आधुनिक शहरों के पास भी इसका वह इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं था, जो कैलीफोर्निया और अमेरिका के दूसरे शहरों में मौजूद था। तब अपनी वेबसाइट बनवाने के लिए उसका पता यानी यूआरएल अमेरिका में रजिस्टर करवाना पड़ता था और इसकी फीस भी अमेरिका के हवाले हो जाती थी। बाद में जब पूरी दुनिया में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार हुआ, तो यह सूरत भी बदलने लगी। सभी देशों ने अपने-अपने यूआरएल हासिल करने शुरू किए। भारत में डॉटइन, पाकिस्तान के लिए डॉटपीके, ब्रिटेन के लिए डॉटयूके शुरू हुआ।
अमेरिका का एकाधिकार तो खत्म हो गया, लेकिन यह नई व्यवस्था दुनिया की भू-राजनीति से आगे नहीं जा सकी। इंटरनेट दुनिया को एक बनाने की सबसे बड़ी संभावना माना जाता है, लेकिन इसके पते मुल्क की सीमाओं में सिमटकर रह गए। हालांकि इस माध्यम के पास इससे कहीं आगे जाने की संभावना थी। इसने कुछ हद तक इंटरनेट की संभावनाओं को ही रोक दिया। कहां तो हम ऐसी व्यवस्था की कल्पना तक करने लग गए थे, जब हर व्यक्ति, यहां तक कि दुनिया के हर जीव-जंतु तक की अपनी एक वेबसाइट होगी। लेकिन हमने इसके लिए ऐसी सड़क बनाई, जो एक जगह जाकर रुक जाती थी। एक दिक्कत यह भी थी कि ये सारे पते अंग्रेजी या रोमन लिपि में ही उपलब्ध थे। अच्छी बात यह है कि अब इन संभावनाओं के दरवाजे खुलने शुरू हो गए हैं।
इंटरनेट के यूआरएल का प्रबंधन देखने वाली संस्था द इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर एसाइंड नेम्स ऐंड नंबर्स ने तय किया है कि ये सीमाएं अब हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी। अब नए पते किसी भी तरह के हो सकते हैं। मसलन वे डॉटबैंक भी हो सकते हैं, डॉटसिनेमा भी, डॉटदिल्ली भी और डॉटझुमरीतलैया भी। या आप चाहें, तो यूआरएल में डॉट के बाद अपना नाम भी जुड़वा सकते हैं। बस इसके लिए आपको शुरू में आवेदन पत्र के साथ दो लाख डॉलर जरूर खर्च करने पड़ेंगे। और हां, एक महत्वपूर्ण फैसला यह भी हुआ है कि अब ये यूआरएल किसी भी भाषा में हो सकते हैं, हिंदी, तमिल या नेपाली किसी में भी। यूरोपीय भाषाओं के अलावा अन्य भाषाओं के साथ शुरू में एक ही भाषा के अलग-अलग तरह के की-बोर्ड की जो समस्या थी, उसे यूनीकोड तकनीक ने पहले ही हल कर दिया है।
वैश्विक इंटरनेट डोमेन सेवा नियामक इंटरनेट कॉर्पोरेशन एसाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएन) ने वेबसाइटों के लिए इंटरनेट पर नाम आवंटित करने की प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव का फैसला किया है।
नई प्रणाली में कंपनियां और सरकारी संगठन अपनी वेबसाइट के नाम के साथ डॉट कॉम और डॉट जीओवी लिखने की बाध्यता से मुक्त हो जाएंगे और इसकी बजाय अपनी पसंद के मुताबिक कोई भी नाम जैसे एप्पल या ऑरेंज कुछ भी लिख सकेंगे। आईसीएएन के निदेशक मंडल की सोमवार को सिंगापुर में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया।
एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह होगा कि रूसी, चीनी और हिन्दी भाषा में डोमेन पते इन भाषाओं की लिपियों में भी सिरिलिक, कांजी और देवनागरी में उपलब्ध होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि डोमेन पतों में बदलाव का आवेदन करने वालों में कंपनियां और शहरी निकाय सबसे आगे होंगे।
उदाहरण के तौर पर कार कंपनी टोयोटा अपनी वेबसाइट के नाम के साथ डॉट टोयोटा और न्यूयार्क शहर की महानगर पालिका अपने वेबसाइट के साथ डॉट न्यूयार्क जैसे शब्दों का प्रयोग करना पसंद कर सकती है
संगठन के अध्यक्ष रॉड बेकस्ट्राम ने बैठक के बाद कहा- अब एक इतिहास रचा गया है। यह एक नए युग की शुरुआत है। नई प्रणाली से इंटरनेट पर दिखने वाली वेबसाइटों के पतों को एक नया रूप मिलेगा, जिससे सभी को फायदा होगा। आईसीएएन के मुताबिक नए डोमेन पतों के लिए आवेदन अगले वर्ष 12 जनवरी से स्वीकार किए जाएंगे और अगले वर्ष २०१२ के अंत तक संभवतः नए डोमेन पते इंटरनेट पर दिखने लगेंगे।
बहुत मजेदार,मनोज जी अब सबसे आगे हम हिन्दुस्तानी.
जवाब देंहटाएंलाख डालर जयादा नहीं है गुरु जी
जवाब देंहटाएंबेहद शानदार लेख के लिए बधाई मनोज जी
जवाब देंहटाएं2लाख डालर जयादा नहीं है मनोज जी बेहद शानदार लेख के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंमनोज जी शानदार लेख के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट मनोज जी
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