रविवार

खूब खाओ वजन बढ़ने का नो टेंशन

at 05:36
प्रकाशक मनोज जैसवाल १६-१०-2010
त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है, पहले दशहरा फिर करवाचौथ और उसके बाद दिवाली। उत्सव के इस मौके पर घरों में मिठाइयां और पकवानों की बहार है। ज्यादातर घरों में अभी से तैयारियां भी शुरू हो गई हैं कि किस दिन, क्या बनेगा। दरअसल त्योहारों के दौरान जो पकवान खाते हैं, वे कैलॉरी से भरपूर होते हैं। आप अपने पकवानों को पकाने की विधि में थोड़ा फेर बदल करके फेस्टिव फूड का मजा दोगुना कर सकते हैं। आइए जानें कैसे-
त्योहारों के दौरान बनने वाले सभी पकवान अधिकतर तैलीय होते हैं। इसके लिए बेहतर होगा कि किसी एक तरह के तेल के बदले विभिन्न प्रकार के तेलों का प्रयोग करें। इससे पतले, गाढ़े तेलों का संतुलन बना रहेगा। मूंगफली, सीसेम और देशी घी को सही अनुपात में इस्तेमाल करें। जैतून का तेल सबसे बेहतर होगा। अलग प्रकार के खाने के लिए अलग-अलग तेल का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है। तलने के लिए जैतून का तेल उपयोगी नहीं। आधा घंटा इस्तेमाल के बाद तेल का उपयोग दुबारा न करें। मोटापे, सुस्ती और डॉयबिटीज, हृदय रोग तथा रक्तचाप से ग्रस्त लोगों को कम फैट लेने की सलाह दी जाती है। उनके लिए रिफाइंड हाइड्रोजेनेटिड और रियूज्ड तेल के बदले सही ढंग का तेल इस्तेमाल करना ही फायदेमंद होगा।
अक्सर त्योहारों पर घरों में मिठाइयां ज्यादा आ जाती हैं। उसे दो-तीन दिनों में समाप्त करने के बजाय फ्रिज में रखकर कई दिनों तक प्रयोग में ला सकते हैं। मिठाइयां को खाते समय ध्यान देने वाली बात यह है कि रसवाली मिठाई जैसे गुलाब जामुन आदि को अच्छी तरह से निचोड़कर खाएं।

त्योहारों पर अगर आप सगे-संबंधियों, दोस्तों से मिलने उनके घर जा रहे हैं और वहां आपको कुछ खाना पड़े, तो कोशिश करें कि थोड़ी-थोड़ी मात्र में ही खाएं। खाने का मतलब एक चम्मच भी होता है और एक पूरा भरा हुआ प्लेट भी। इस नियम का प्रयोग पार्टी में ड्रिंक के मामले में भी हम कर सकते हैं।
अगर पार्टी देर रात तक चलनी है तो कोशिश करें कि अपना पैग छोटा ही रखें और उसमें ज्यादा-से-ज्यादा सोडा-पानी मिलाकर देर तक उसका आनंद उठा सकते हैं। जो लोग ड्रिंक नहीं करते वे चाहें तो कोल्ड ड्रिंक में सोडा मिलाकर अपने आपको ग्रुप में शामिल कर सकते हैं। बीयर और वाइन में जो ध्यान देने वाली बात है वह उनकी एनर्जी है क्योंकि शराब के मुकाबले बीयर ज्यादा एनर्जेटिक होती है इसलिए अगर हम एक पैग वाइन ले रहे हैं तो बीयर का आधा ही पैग लेना चाहिए।
लगातार हलुवा, पूड़ी, मसालेदार सब्जियां, पुलाव हर त्योहार पर बनाने के बजाय यदि हम अपने पकवान बदल दें तो त्योहारों का जायका और भी बढ़ाया जा सकता है। यह हमेशा ध्यान रखें कि सुबह की बनी तैलीय चीजों को शाम को न खाएं। कोशिश करें कि खाने के साथ सलाद और दही जरूर लें, इससे आपकी पाचनक्रिया सामान्य रहेगी।
त्योहारों पर चाय-कॉफी और चाय एड्रेनालाइन की रिलीज बढ़ा देती है जिसके चलते चुस्ती का संचार होता है और दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। आंतों के अल्सर से पीड़ित लोग कॉफी से दूर रहें तो बेहतर होगा। चूंकि यह पेट में एसिड को सक्रिय कर देती है जिससे जलन महसूस हो सकती है। एक सामान्य व्यक्ति को दिनभर में तीन सौ मिलीग्राम से ज्यादा कैफिन नहीं लेनी चाहिए यानी तीन कप से ज्यादा कॉफी का सेवन सेहत के लिए ठीक नहीं है। अत: आप आधा-आधा कप करके अपना कोटा पूरा कर सकते हैं। इसके साथ तली नमकीन की जगह रोस्टेड चीजों को खाएं तो ज्यादा अच्छा रहेगा और स्वास्थ्य भी बना रहेगा।

त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है, पहले दशहरा फिर करवाचौथ और उसके बाद दिवाली। उत्सव के इस मौके पर घरों में मिठाइयां और पकवानों की बहार है। ज्यादातर घरों में अभी से तैयारियां भी शुरू हो गई हैं कि किस दिन, क्या बनेगा। दरअसल त्योहारों के दौरान जो पकवान खाते हैं, वे कैलॉरी से भरपूर होते हैं। आप अपने पकवानों को पकाने की विधि में थोड़ा फेर बदल करके फेस्टिव फूड का मजा दोगुना कर सकते हैं। आइए जानें कैसे-

त्योहारों के दौरान बनने वाले सभी पकवान अधिकतर तैलीय होते हैं। इसके लिए बेहतर होगा कि किसी एक तरह के तेल के बदले विभिन्न प्रकार के तेलों का प्रयोग करें। इससे पतले, गाढ़े तेलों का संतुलन बना रहेगा। मूंगफली, सीसेम और देशी घी को सही अनुपात में इस्तेमाल करें। जैतून का तेल सबसे बेहतर होगा। अलग प्रकार के खाने के लिए अलग-अलग तेल का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है। तलने के लिए जैतून का तेल उपयोगी नहीं। आधा घंटा इस्तेमाल के बाद तेल का उपयोग दुबारा न करें। मोटापे, सुस्ती और डॉयबिटीज, हृदय रोग तथा रक्तचाप से ग्रस्त लोगों को कम फैट लेने की सलाह दी जाती है। उनके लिए रिफाइंड हाइड्रोजेनेटिड और रियूज्ड तेल के बदले सही ढंग का तेल इस्तेमाल करना ही फायदेमंद होगा।

अक्सर त्योहारों पर घरों में मिठाइयां ज्यादा आ जाती हैं। उसे दो-तीन दिनों में समाप्त करने के बजाय फ्रिज में रखकर कई दिनों तक प्रयोग में ला सकते हैं। मिठाइयां को खाते समय ध्यान देने वाली बात यह है कि रसवाली मिठाई जैसे गुलाब जामुन आदि को अच्छी तरह से निचोड़कर खाएं।

त्योहारों पर अगर आप सगे-संबंधियों, दोस्तों से मिलने उनके घर जा रहे हैं और वहां आपको कुछ खाना पड़े, तो कोशिश करें कि थोड़ी-थोड़ी मात्र में ही खाएं। खाने का मतलब एक चम्मच भी होता है और एक पूरा भरा हुआ प्लेट भी। इस नियम का प्रयोग पार्टी में ड्रिंक के मामले में भी हम कर सकते हैं।

अगर पार्टी देर रात तक चलनी है तो कोशिश करें कि अपना पैग छोटा ही रखें और उसमें ज्यादा-से-ज्यादा सोडा-पानी मिलाकर देर तक उसका आनंद उठा सकते हैं। जो लोग ड्रिंक नहीं करते वे चाहें तो कोल्ड ड्रिंक में सोडा मिलाकर अपने आपको ग्रुप में शामिल कर सकते हैं। बीयर और वाइन में जो ध्यान देने वाली बात है वह उनकी एनर्जी है क्योंकि शराब के मुकाबले बीयर ज्यादा एनर्जेटिक होती है इसलिए अगर हम एक पैग वाइन ले रहे हैं तो बीयर का आधा ही पैग लेना चाहिए।

लगातार हलुवा, पूड़ी, मसालेदार सब्जियां, पुलाव हर त्योहार पर बनाने के बजाय यदि हम अपने पकवान बदल दें तो त्योहारों का जायका और भी बढ़ाया जा सकता है। यह हमेशा ध्यान रखें कि सुबह की बनी तैलीय चीजों को शाम को न खाएं। कोशिश करें कि खाने के साथ सलाद और दही जरूर लें, इससे आपकी पाचनक्रिया सामान्य रहेगी।

त्योहारों पर चाय-कॉफी और चाय एड्रेनालाइन की रिलीज बढ़ा देती है जिसके चलते चुस्ती का संचार होता है और दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। आंतों के अल्सर से पीड़ित लोग कॉफी से दूर रहें तो बेहतर होगा। चूंकि यह पेट में एसिड को सक्रिय कर देती है जिससे जलन महसूस हो सकती है। एक सामान्य व्यक्ति को दिनभर में तीन सौ मिलीग्राम से ज्यादा कैफिन नहीं लेनी चाहिए यानी तीन कप से ज्यादा कॉफी का सेवन सेहत के लिए ठीक नहीं है। अत: आप आधा-आधा कप करके अपना कोटा पूरा कर सकते हैं। इसके साथ तली नमकीन की जगह रोस्टेड चीजों को खाएं तो ज्यादा अच्छा रहेगा और स्वास्थ्य भी बना रहेगा।

त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है, पहले दशहरा फिर करवाचौथ और उसके बाद दिवाली। उत्सव के इस मौके पर घरों में मिठाइयां और पकवानों की बहार है। ज्यादातर घरों में अभी से तैयारियां भी शुरू हो गई हैं कि किस दिन, क्या बनेगा। दरअसल त्योहारों के दौरान जो पकवान खाते हैं, वे कैलॉरी से भरपूर होते हैं। आप अपने पकवानों को पकाने की विधि में थोड़ा फेर बदल करके फेस्टिव फूड का मजा दोगुना कर सकते हैं। आइए जानें कैसे-

त्योहारों के दौरान बनने वाले सभी पकवान अधिकतर तैलीय होते हैं। इसके लिए बेहतर होगा कि किसी एक तरह के तेल के बदले विभिन्न प्रकार के तेलों का प्रयोग करें। इससे पतले, गाढ़े तेलों का संतुलन बना रहेगा। मूंगफली, सीसेम और देशी घी को सही अनुपात में इस्तेमाल करें। जैतून का तेल सबसे बेहतर होगा। अलग प्रकार के खाने के लिए अलग-अलग तेल का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है। तलने के लिए जैतून का तेल उपयोगी नहीं। आधा घंटा इस्तेमाल के बाद तेल का उपयोग दुबारा न करें। मोटापे, सुस्ती और डॉयबिटीज, हृदय रोग तथा रक्तचाप से ग्रस्त लोगों को कम फैट लेने की सलाह दी जाती है। उनके लिए रिफाइंड हाइड्रोजेनेटिड और रियूज्ड तेल के बदले सही ढंग का तेल इस्तेमाल करना ही फायदेमंद होगा।

अक्सर त्योहारों पर घरों में मिठाइयां ज्यादा आ जाती हैं। उसे दो-तीन दिनों में समाप्त करने के बजाय फ्रिज में रखकर कई दिनों तक प्रयोग में ला सकते हैं। मिठाइयां को खाते समय ध्यान देने वाली बात यह है कि रसवाली मिठाई जैसे गुलाब जामुन आदि को अच्छी तरह से निचोड़कर खाएं।

त्योहारों पर अगर आप सगे-संबंधियों, दोस्तों से मिलने उनके घर जा रहे हैं और वहां आपको कुछ खाना पड़े, तो कोशिश करें कि थोड़ी-थोड़ी मात्र में ही खाएं। खाने का मतलब एक चम्मच भी होता है और एक पूरा भरा हुआ प्लेट भी। इस नियम का प्रयोग पार्टी में ड्रिंक के मामले में भी हम कर सकते हैं।

अगर पार्टी देर रात तक चलनी है तो कोशिश करें कि अपना पैग छोटा ही रखें और उसमें ज्यादा-से-ज्यादा सोडा-पानी मिलाकर देर तक उसका आनंद उठा सकते हैं। जो लोग ड्रिंक नहीं करते वे चाहें तो कोल्ड ड्रिंक में सोडा मिलाकर अपने आपको ग्रुप में शामिल कर सकते हैं। बीयर और वाइन में जो ध्यान देने वाली बात है वह उनकी एनर्जी है क्योंकि शराब के मुकाबले बीयर ज्यादा एनर्जेटिक होती है इसलिए अगर हम एक पैग वाइन ले रहे हैं तो बीयर का आधा ही पैग लेना चाहिए।

लगातार हलुवा, पूड़ी, मसालेदार सब्जियां, पुलाव हर त्योहार पर बनाने के बजाय यदि हम अपने पकवान बदल दें तो त्योहारों का जायका और भी बढ़ाया जा सकता है। यह हमेशा ध्यान रखें कि सुबह की बनी तैलीय चीजों को शाम को न खाएं। कोशिश करें कि खाने के साथ सलाद और दही जरूर लें, इससे आपकी पाचनक्रिया सामान्य रहेगी।

त्योहारों पर चाय-कॉफी और चाय एड्रेनालाइन की रिलीज बढ़ा देती है जिसके चलते चुस्ती का संचार होता है और दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। आंतों के अल्सर से पीड़ित लोग कॉफी से दूर रहें तो बेहतर होगा। चूंकि यह पेट में एसिड को सक्रिय कर देती है जिससे जलन महसूस हो सकती है। एक सामान्य व्यक्ति को दिनभर में तीन सौ मिलीग्राम से ज्यादा कैफिन नहीं लेनी चाहिए यानी तीन कप से ज्यादा कॉफी का सेवन सेहत के लिए ठीक नहीं है। अत: आप आधा-आधा कप करके अपना कोटा पूरा कर सकते हैं। इसके साथ तली नमकीन की जगह रोस्टेड चीजों को खाएं तो ज्यादा अच्छा रहेगा और स्वास्थ्य भी बना रहेगा। manojjaiswalpbt@जीमेल.com



1 टिप्पणी