शनिवार

टीम के संकटमोचक द्रविड़ ने वनडे क्रिकेट को अलविदा कहा !

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View Image in New Windowमनोज जैसवाल : दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने शुक्रवार को इंग्लैंड के खिलाफ एकदिवसीय मैच के बाद वनडे क्रिकेट को अलविदा कहा.  
कार्डिफ में द्रविड़ (69) ने शुक्रवार को अपना 344वां मैच खेला. उनका शुमार भले ही एक दिवसीय क्रिकेट के आक्रामक बल्लेबाजों में नहीं होता हो लेकिन उनकी प्रतिबद्धता और प्रतिकूल परिस्थितियों में अच्छे प्रदर्शन की क्षमता ने उन्हें सही मायने में भारतीय क्रिकेट टीम का संकटमोचक बनाया.
अब तक 343 वनडे मैचों में 10820 रन बना चुके द्रविड़ टेस्ट क्रिकेट में 157 मैचों में 53 की औसत से 12775 रन बना चुके हैं. द्रविड़ ऐसी विरासत छोड़ रहे हैं जो आने वाली कई पीढियों के लिये प्रेरणासोत साबित होगी.
श्रीलंका के खिलाफ सिंगापुर में तीन अप्रैल 1996 को सिंगर कप के दौरान पहले मैच में तीन रन पर आउट होने वाले द्रविड़ ने 15 बरस के कैरियर में 39 की औसत से रन बनाये.
वनडे क्रिकेट के अनुकूल नहीं माने जाने वाले द्रविड़ विश्व कप 1999 में मध्यक्रम की रीढ साबित हुए जिसमें उन्होंने सर्वाधिक 461 रन बनाये. इस दौरान वह विश्व कप में लगातार दो शतक जमाने वाले पहले भारतीय बने. कीनिया के खिलाफ ब्रिस्टल में उन्होंने नाबाद 104 और श्रीलंका के खिलाफ टांटन में 145 रन बनाये.
भारतीय क्रि केट में लगातार अच्छे प्रदर्शन के परिचायक बने द्रविड़ अक्सर सचिन तेंदुलकर जैसे बल्लेबाजों के साये से निकल नहीं सके. न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद में 1999 में तेंदुलकर के साथ 331 रन की रिकार्ड साझेदारी करने वाले द्रविड़ ने 155 रन बनाये थे.
इसके अलावा ईडन गार्डन पर आस्ट्रेलिया के खिलाफ 180 रन बनाने वाले द्रविड़ ने भारत की ऐतिहासिक जीत की नींव रखी थी. पहले टेस्ट में हालांकि तेंदुलकर ने नाबाद 186 रन बनाये थे जबकि दूसरे में वीवीएस लक्ष्मण ने 281 रन की पारी खेली.
विकेट कीपिंग के उनके गुण ने टीम को एक अतिरिक्त बल्लेबाज की सहूलियत दी. भारतीय टीम को 2003 विश्व कप में इसका फायदा मिला जब सौरव गांगुली की अगुवाई में टीम फाइनल तक पहुंची.
अक्सर धीमी स्ट्राइक रेट के लिये आलोचना झेलने वाले द्रविड़ ने हैदराबाद में 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 22 गेंद में अर्धशतक बनाया जो वनडे क्रिकेट में किसी भारतीय का दूसरा सबसे तेज अर्धशतक है.
वनडे क्रिकेट में उनसे अधिक अर्धशतक सिर्फ तेंदुलकर (95) और इंजमाम उल हक (83) ने बनाये थे. द्रविड़ ने 82 अर्धशतक बनाये हैं जबकि 12 शतक बनाये.
वर्ष 2005 में सौरव गांगुली की जगह कप्तान बने द्रविड़ की तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल से नहीं बनी. उनकी कप्तानी में भारत ने लगातार 16 मैचों में लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत दर्ज की लेकिन 2007 विश्व कप से पहले ही दौर में बाहर हो गई.
उन पर आरोप लगा कि उन्होंने चैपल को मनमानी करने दी. द्रविड़ ने इसके बाद कप्तानी छोड़ दी थी.
साल 1996 तक भारतीय क्रिकेट को एक औसत टीम से ज़्यादा तवज्जो नहीं दी जाती थी, कारण भी था हम लगातार अच्छे प्रदर्शन नहीं कर पाते थे, एक मैच मे अर्श पर तो दूसरी में फर्श पर यही कहानी थी उस टीम की जो अपने देश मे जितना जानती थी, लेकिन विदेश मे चाहे वो ज़िंबाब्वे हो या वेस्ट इंडीज हर जगह हम एक ही स्टाइल में खेलते थे, खेलते क्या थे घुटने टेक देते थे, उस समय एक ट्रेंड चल गया था सचिन आउट तो टीम आउट, होता भी यही था सचिन के आउट होते ही तीन चार खिलाड़ी आउट होते ही थे कारण चाहे अयोग्यता हो या सट्टा बाजी पता नहीं लेकिन टीम का घटिया प्रदर्शन जारी था| सचिन अकेला कितने मैच में खेलता| लेकिन 1996 में भारतीय क्रिकेट की तस्वीर क्या बदली समझो किस्मत ही बदल गयी. लॉर्ड्स में एक महान खिलाड़ी का उदय हुआ राहल द्रविड़|
जिस दिन से राहुल द्रविड़ टीम में आए विपक्षी गेंदवाजो के लिए चुनौती बन गये. पहली बार दिखा की सचिन के आउट लेकिन पतझड़ शुरू नहीं हुई,कारण था चट्टानी इरादों के साथ मजबूती से कदम गड़ाए एक भारतीय योद्धा विपक्षी गेंदबाजों से लोहा लेता था, हालात चाहे प्रतिकूल हो या अनुकूल राहुल को अपनी योग्यता पर पूरा भरोसा था, हालाँकि आलोचना करने वालो ने इस खिलाड़ी को हमेशा टारगेट किया की ये वनडे क्रिकेट नहीं खेल सकता, लेकिन रेकॉर्ड देखो इंडिया मे सचिन के बाद राहुल ने टेस्ट और वनडे में 10000 से ज़्यादा रन बनाए हैं| आज राहुल द्रविड़ टेस्ट मे दूसरे सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी है, अगर चयनकर्ताओ ने 4 साल नाइंसाफी नही किया होता तो आज वनडे मे वह दूसरे सबसे ज़्यादा रन बनाने बाले  खिलाड़ी होते.
 manojjaiswalpbt

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