मनोज जैसवाल : अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने चेतावनी दी है कि साढ़े छह टन का एक सैटलाइट इसी हफ्ते धरती से टकरा सकता है। पिछले 20 सालों से धरती का चक्कर लगा रहा यह सैटलाइट अब बेकार हो चुका है और धरती की तरफ बढ़ रहा है।
बस जितना बड़ा है सैटलाइट
इस सैटलाइट का नाम अपर एटमॉसफियर रिसर्च सैटलाइट (यूएआरएस) है। 35 फुट लंबा और 15 फुट चौड़ा यह सैटलाइट किसी बस जितना बड़ा है। वैसे तो अंतरिक्ष से अक्सर बाहरी चीजें धरती की तरफ आती रहती हैं लेकिन पृथ्वी के वातावरण में घर्षण से जलकर नष्ट हो जाती हैं। लेकिन यह सैटलाइट काफी बड़ा है इसलिए इसके पृथ्वी से टकराने की आशंका है। फिर भी यह किसी व्यक्ति को नुकसान पहुचाएंगा, इसकी आशंका 3200 में से सिर्फ एक ही है।
26 टुकड़े गिरेंगे धरती पर
इस सैटलाइट के करीब 26 बड़े टुकड़े धरती के वायुमंडल को चीरकर सतह तक पहुंच सकते हैं। यह कब गिरेगा, इसका सही अनुमान अभी नहीं लग पाया है। लेकिन नासा के साइंटिस्टों का कहना है कि यह इसी शुक्रवार को या उसके एक-दो दिन आगे-पीछे पृथ्वी पर गिर सकता है। सही वक्त का अंदाजा इसके धरती के वायुमंडल में घुसने से करीब दो घंटे पहले लग सकेगा।
भारत भी निशाने पर
अभी यह पता नहीं चला है कि ये टुकडे़ कहां गिर सकते हैं। लेकिन नासा ने ,,,
इशारा किया है कि ये टुकड़े उत्तरी कनाडा और दक्षिणी अमेरिका के दक्षिण हिस्से में गिर सकते हैं। यानी भारत समेत धरती का ज्यादातर हिस्सा इसके निशाने पर है। वॉशिंगटन के सिक्योर वर्ल्ड फाउंडेशन की डायरेक्टर विक्टोरिया सैमसन ने बताया कि धरती का करीब 75 प्रतिशत हिस्सा समुद्र है इसलिए यह संभावना ज्यादा है कि यह सैटलाइट समुद्र में गिरे।
1991 में हुआ था लॉन्च
750 मिलियन डॉलर से बने इस सैटलाइट को 1991 में लॉन्च किया गया था। ओजोन लेयर और अपर एटमॉसफेयर को बेहतर ढंग से जानने के लिए इसे लॉन्च किया गया था। यह 2005 तक इस्तेमाल में था। इसे तीन साल काम करने के मकसद से बनाया गया था। लेकिन यह 14 साल तक चला। बेकार होने के बाद यह पृथ्वी की कक्षा में घूम रहा है और घर्षण के कारण टूट गया है। फिलहाल यह धरती से 240 किमी ऊपर चक्कर काट रहा है।
हो सकता है , न हो नुकसान
बस जितना बड़ा है सैटलाइट
इस सैटलाइट का नाम अपर एटमॉसफियर रिसर्च सैटलाइट (यूएआरएस) है। 35 फुट लंबा और 15 फुट चौड़ा यह सैटलाइट किसी बस जितना बड़ा है। वैसे तो अंतरिक्ष से अक्सर बाहरी चीजें धरती की तरफ आती रहती हैं लेकिन पृथ्वी के वातावरण में घर्षण से जलकर नष्ट हो जाती हैं। लेकिन यह सैटलाइट काफी बड़ा है इसलिए इसके पृथ्वी से टकराने की आशंका है। फिर भी यह किसी व्यक्ति को नुकसान पहुचाएंगा, इसकी आशंका 3200 में से सिर्फ एक ही है।
26 टुकड़े गिरेंगे धरती पर
इस सैटलाइट के करीब 26 बड़े टुकड़े धरती के वायुमंडल को चीरकर सतह तक पहुंच सकते हैं। यह कब गिरेगा, इसका सही अनुमान अभी नहीं लग पाया है। लेकिन नासा के साइंटिस्टों का कहना है कि यह इसी शुक्रवार को या उसके एक-दो दिन आगे-पीछे पृथ्वी पर गिर सकता है। सही वक्त का अंदाजा इसके धरती के वायुमंडल में घुसने से करीब दो घंटे पहले लग सकेगा।
भारत भी निशाने पर
अभी यह पता नहीं चला है कि ये टुकडे़ कहां गिर सकते हैं। लेकिन नासा ने ,,,
इशारा किया है कि ये टुकड़े उत्तरी कनाडा और दक्षिणी अमेरिका के दक्षिण हिस्से में गिर सकते हैं। यानी भारत समेत धरती का ज्यादातर हिस्सा इसके निशाने पर है। वॉशिंगटन के सिक्योर वर्ल्ड फाउंडेशन की डायरेक्टर विक्टोरिया सैमसन ने बताया कि धरती का करीब 75 प्रतिशत हिस्सा समुद्र है इसलिए यह संभावना ज्यादा है कि यह सैटलाइट समुद्र में गिरे।
1991 में हुआ था लॉन्च
750 मिलियन डॉलर से बने इस सैटलाइट को 1991 में लॉन्च किया गया था। ओजोन लेयर और अपर एटमॉसफेयर को बेहतर ढंग से जानने के लिए इसे लॉन्च किया गया था। यह 2005 तक इस्तेमाल में था। इसे तीन साल काम करने के मकसद से बनाया गया था। लेकिन यह 14 साल तक चला। बेकार होने के बाद यह पृथ्वी की कक्षा में घूम रहा है और घर्षण के कारण टूट गया है। फिलहाल यह धरती से 240 किमी ऊपर चक्कर काट रहा है।
हो सकता है , न हो नुकसान
हैदराबाद में बी . एम . बिड़ला साइंस सेंटर के डायरेक्टर बी.जी. सिद्धार्थ का कहना है कि 1970 के शुरु में ऐसी ही घटना स्काईलैब अंतरिक्षयान के साथ हुई थी। तब उससे जानमाल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। भारत की कल्पना चावला समेत अंतरिक्ष यात्रियों को ले जा रहे स्पेस शटल कोलंबिया के कुछ टुकड़े भी धरती पर गिरे थे। इनसे भी पृथ्वी पर किसी को नुकसान नहीं पहुंचा था। यूएआरएस सैटलाइट के साथ भी ऐसा ही होने की संभावना है।
manojjaiswalpbt |
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सुन्दर आलेख
जवाब देंहटाएंnice
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