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4 जून की रात को कोई लाठीचार्ज नहीं किया : पुलिस

at 18:28
मनोज जैसवाल : नई दिल्ली। दिल्ली के रामलीला मैदान कांड पर पुलिस ने आज सर्वोच्च न्यायालय के नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि 4 जून की रात को कोई लाठीचार्ज नहीं किया गया था। दाखिल जवाब में कहा गया कि पुलिस रामदेव को बताने गई थी कि उनका योग शिविर का परमिट रद्द हो गया है और उन्हें वहां से चले जाना चाहिए। जवाब में सर्वोच्च न्यायालय को बताया गया है कि इस भगदड़ में 23 पुलिस वाले और 49 आम लोग घायल हुए।

पुलिस ने जवाब में यह भी कहा कि रामदेव की सुरक्षा और जिंदगी को भी खतरा था। दिल्ली पुलिस के मुताबिक अचानक रामदेव भीड़ के बीच में कूद गए और अपने समर्थकों को भड़काने लगे। उनके समर्थकों ने पुलिस पर गमले और पत्थर फेंकने शुरु कर दिए। यही नहीं, उन लोगों ने पुलिस पर बेसबॉल बैट भी चलाया। पुलिस का कहना है कि कि लोग भगदड़ की वजह से घायल हुए न कि लाठीचार्ज की वजह से।


बाबा रामदेव के अनशन पर पुलिस कार्रवाई के दृश्य!

सर्वोच्च न्यायालय में पुलिस ने बताया कि 4 जून की रात रामलीला मैदान पर कानून-व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए की गई थी। भड़के लोगों को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए। हालात बिगड़ते देख कर ही आंसू गैस के गोले छोड़े गए थे।

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने रामलीला मैदान पर आधी रात को पुलिस द्वारा बर्बर कार्रवाई पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और केंद्र के गृह सचिव को नोटिस जारी कर कारण जानना चाहा था कि आखिर क्या वजह थी कि आधी रात के वक्त शांत लोगों पर लाठियां बरसानी पड़ीं?

रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव के खिलाफ 4 जून की मध्यरात्रि को हुई पुलिस कार्रवाई को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय गृह सचिव जी. के. पिल्लै तथा दिल्ली पुलिस के प्रमुख बी. के. गुप्ता को नोटिस जारी किया था।

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अदालत ने पूछा था कि आखिर किन परिस्थितियों में बाबा रामदेव तथा उनके समर्थकों को जबरन दिल्ली से बाहर ले जाया गया।

दिल्ली के मुख्य सचिव पी. के. त्रिपाठी को भी नोटिस जारी किया गया है। दो सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना था।

कानून के जानकारों की मानें तो सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को समझाना होगा कि ऐसी कौन-सी मजबूरी थी कि शांतिपूर्ण सत्याग्रह कर रहे लोगों पर लाठियां बरसानी पड़ीं।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बी. एस. चौहान तथा न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ ने मीडिया की खबरों के आधार पर बाबा रामदेव के खिलाफ हुई पुलिस कार्रवाई पर स्वत: संज्ञान लेते हुए ये नोटिस जारी किए थे। मामले की आगली सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में होनेवाली है।


बाबा रामदेव पर हुई कार्रवाई की चारों ओर निंदा

ध्यान रहे कि राजधानी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव को 4 जून के रात में जब हिरासत में लेने की कोशिश की गई, तो बाबा सहित वहां मौजूद उनके सभी समर्थकों में हड़कम्प मच गया था। मध्यरात्रि के बाद करीब एक बजे पुलिस अधिकारी पूरे लाव लश्कर के साथ रामलीला मैदान पहुंचे तथा उन्होंने मंच को अपने घेरे में ले लिया था। पुलिस अधिकारियों ने बाबा को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया, जिसका बाबा के अनुयाइयों ने प्रबल विरोध किया था।

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रात करीब एक बजे एकाएक रामलीला मैदान पर धमक पड़ी। उस समय लोग अपने कैंपों में सोए हुए थे। पुलिस कार्रवाई के दौरान बच्चे, महिलाएं और वृद्ध लोग घायल हुए हैं। पुलिस की इस कार्रवाई की भाजपा और संघ ने कड़ी आलोचना की है और इसे पुलिस की बर्बरता करार दिया। देश की राजनीतिक घटनाओं का स्नायुकेन्द्र राजधानी दिल्ली में किसी बड़े राजनीतिक आंदोलन पर बल प्रयोग की यह विरली ही घटना रही।

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चश्मदीदों के मुताबिक जैसे ही पुलिस पंडाल में पहुंची, भारी संख्या में महिलाएं बाबा के सामने सुरक्षा ढाल बनकर खड़ी हो गईं। वहीं पुलिस का कहना है कि उसने योग शिविर की इजाजत रद्द कर दी। देर रात ढाई बजे के आसपास बाबा रामदेव को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। बाबा को हिरासत में लेने से पहले पुलिस ने बाबा रामदेव के सर्मथकों को तितर बितर करने के लए आंसू गैस के गोले छोड़े। आंसू गैस के बाद पंडाल में जबरदस्त अफरातफरी मच गई।

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