मनोज जैसवाल : किसानों की जमीन अधिग्रहण को लेकर मचे बवाल के बीच केंद्र सरकार ने राज्यों को यह साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत बनाई जाने वाली सड़कों के लिए अब मुफ्त में भूमि अधिग्रहण नहीं किया जा सकेगा।
राज्य सरकारों को अब अधिग्रहीत भूमि के लिए किसानों को बाजार दर पर मुआवजे का भुगतान करना होगा। इस फैसले का उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मेघालय और झारखंड के लोगों को विशेष लाभ मिलेगा। इन राज्यों में विश्व बैंक के ऋण से इस योजना के तहत ग्रामीण सड़क कार्यक्रम को साकार किया जा रहा है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुताबिक पीएमजीएसवाई के तहत अधिग्रहीत की जाने वाली जमीन का भुगतान बाजार दर पर करना कानूनन अनिवार्य है। इसके बावजूद कई राज्यों में लोक कार्य का हवाला देकर किसानों व दुकानदारों की जमीन मुफ्त में या फिर थोड़ा-बहुत भुगतान करके अधिग्रहीत कर ली जाती है।
चूंकि इस योजना का लाभ गांववासियों को होता है और ग्राम प्रमुख जमीन उपलब्ध कराता है, लिहाजा जमीन मालिकों के लिए खामोश रहना मजबूरी बन जाती है। अब ऐसा नहीं होगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि बगैर मुआवजे के अधिग्रहीत जमीन पर योजना के लिए धन का आवंटन रोक दिया जाएगा।
हाल ही में दूसरे चरण की ग्रामीण सड़क योजना के लिए विश्व बैंक ने 1.5 अरब डॉलर का ऋण दिया है। इस ऋण से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, झारखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और मेघालय में पीएमजीएसवाई के तहत सड़कों का निर्माण किया जाएगा। विश्व बैंक ने इस ऋण को केंद्र और राज्यों को संयुक्त रूप से दिया है।
इसे पांच साल में खर्च किया जाना है। इस वर्ष 170.6 करोड़ डॉलर से 24174 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाना है। यह योजना उन सड़कों के लिए है, जहां मैदानी क्षेत्रों के गांवों की आबादी एक हजार से कम और पहाड़ी व सूदूर क्षेत्रों के गांवों की आबादी 500 से कम है।
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