मनोज जैसवाल : खीरे और कुछ अन्य सब्ज़ियों के ज़रिए ई-कोलाई बैक्टीरिया का संक्रमण लोगों तक पहुँच रहा है, अब तक इस संक्रमण की वजह से 14 लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों लोग बीमार हो गए हैं.
इस संक्रमण के बारे में कुछ ज़रूरी जानकारियाँ.
ई-कोलाई क्या है?
ई-कोलाई इशचेरिचिया कोलाई का संक्षिप्त रूप है. यह एक तरह का बैक्टीरिया है जो मनुष्यों और पशुओं के पेट में हमेशा रहता है, इस बैक्टीरिया के ज्यादातर रूप हानिरहित हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जो पेट में मरोड़ और दस्त जैसे लक्षण पैदा करते हैं, कई बार इनकी वजह से लोगों का गुर्दा काम करना बंद कर देता है और संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.
मौजूदा संक्रमण के बारे में क्या जानकारी है?
इस बार जर्मनी से शुरू हुए संक्रमण में लोगों के गुर्दे और स्नायुतंत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. इस अवस्था को हिमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम कहते हैं.
इस बार के संक्रमण में खूनी दस्त, गुर्दे की नाकामी और मिर्गी के दौरे जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
ज्यादातर लोगों में ई-कोलाई बैक्टीरिया का जो रूप पाया गया है उसका नाम ई-कोलाई 0104 है, जो आम नहीं है.
अब तक ई-कोलाई के ज्यादातर मामलों की असली वजह 0157 रहा था, बैक्टीरिया के उस रूप से संक्रमित लोगों के लक्षण भी इसी तरह के होते हैं.
संक्रमण लोगों तक पहुँचा कैसे?
यह संक्रमण आम तौर पर माँस के ज़रिए लोगों तक पहुँचता है लेकिन इस बार इसका माध्यम सब्ज़ियाँ हैं. जर्मन अधिकारियों का कहना है कि स्पेन से आयात किए गए खीरे में ई-कोलाई बैक्टीरिया पाया गया है.
अच्छी तरह पकाए गए खाने में ई-कोलाई बैक्टीरिया के बचने की संभावना समाप्त हो जाती है, फल और कई सब्जियाँ अक्सर कच्ची खाई जाती हैं इसलिए संक्रमण फैल रहा है.
ई-कोलाई बैक्टीरिया पशुओं के मल के ज़रिए खीरे में किसी तरह पहुँचा जहाँ से वह लोगों के पेट में जा रहा है, अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि ऐसा गायों के गोबर के खाद के तौर पर इस्तेमाल किए जाने की वजह से हुआ होगा.
संक्रमण से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
अधिकारियों ने लोगों को हिदायत दी है कि वे खीरा, टमाटर और गाजर जैसी चीज़ें कच्चा न खाएँ.
इस संक्रमण के जर्मनी से बाहर फैलने की ख़बर अब तक नहीं आई है.
जानकारों का कहना है कि अगर फलों और सब्ज़ियों को अच्छी तरह धोकर या छीलकर खाया जाए तो ख़तरा नहीं है, डॉक्टरों का कहना है कि ई-कोलाई बैक्टीरिया फल-सब्ज़ियों के ऊपर है, न कि उनके भीतर.
इस संक्रमण के बारे में कुछ ज़रूरी जानकारियाँ.
ई-कोलाई क्या है?
ई-कोलाई इशचेरिचिया कोलाई का संक्षिप्त रूप है. यह एक तरह का बैक्टीरिया है जो मनुष्यों और पशुओं के पेट में हमेशा रहता है, इस बैक्टीरिया के ज्यादातर रूप हानिरहित हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जो पेट में मरोड़ और दस्त जैसे लक्षण पैदा करते हैं, कई बार इनकी वजह से लोगों का गुर्दा काम करना बंद कर देता है और संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.
मौजूदा संक्रमण के बारे में क्या जानकारी है?
इस बार जर्मनी से शुरू हुए संक्रमण में लोगों के गुर्दे और स्नायुतंत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. इस अवस्था को हिमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम कहते हैं.
इस बार के संक्रमण में खूनी दस्त, गुर्दे की नाकामी और मिर्गी के दौरे जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
ज्यादातर लोगों में ई-कोलाई बैक्टीरिया का जो रूप पाया गया है उसका नाम ई-कोलाई 0104 है, जो आम नहीं है.
अब तक ई-कोलाई के ज्यादातर मामलों की असली वजह 0157 रहा था, बैक्टीरिया के उस रूप से संक्रमित लोगों के लक्षण भी इसी तरह के होते हैं.
संक्रमण लोगों तक पहुँचा कैसे?
यह संक्रमण आम तौर पर माँस के ज़रिए लोगों तक पहुँचता है लेकिन इस बार इसका माध्यम सब्ज़ियाँ हैं. जर्मन अधिकारियों का कहना है कि स्पेन से आयात किए गए खीरे में ई-कोलाई बैक्टीरिया पाया गया है.
अच्छी तरह पकाए गए खाने में ई-कोलाई बैक्टीरिया के बचने की संभावना समाप्त हो जाती है, फल और कई सब्जियाँ अक्सर कच्ची खाई जाती हैं इसलिए संक्रमण फैल रहा है.
ई-कोलाई बैक्टीरिया पशुओं के मल के ज़रिए खीरे में किसी तरह पहुँचा जहाँ से वह लोगों के पेट में जा रहा है, अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि ऐसा गायों के गोबर के खाद के तौर पर इस्तेमाल किए जाने की वजह से हुआ होगा.
संक्रमण से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
अधिकारियों ने लोगों को हिदायत दी है कि वे खीरा, टमाटर और गाजर जैसी चीज़ें कच्चा न खाएँ.
इस संक्रमण के जर्मनी से बाहर फैलने की ख़बर अब तक नहीं आई है.
जानकारों का कहना है कि अगर फलों और सब्ज़ियों को अच्छी तरह धोकर या छीलकर खाया जाए तो ख़तरा नहीं है, डॉक्टरों का कहना है कि ई-कोलाई बैक्टीरिया फल-सब्ज़ियों के ऊपर है, न कि उनके भीतर.
बहुत ही ज़बर्दस्त लिखा है
जवाब देंहटाएंnice
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