मनोज जैसवाल : प्यार का पंचनामा एक ऐसी हल्की फुल्की कॉमेडी फिल्म है जिसे देख कर आप सोच में पड़ जाएंगे कि इसे बनाने वाला जरूर किसी औरत के जुल्मों का सताया हुआ है और महिलाओं से बेहद नफरत करता है। फिल्म का प्लॉट ऐसे तीन लड़कों के इर्द गिर्द घूमता है जो रूम मेट हैं और जिनके पास अपनी बोर नौकरी और जिंदगी का रोना रोने के अलावा कोई काम नहीं है। लेकिन एक दिन उनकी जिंदगी में बदलाव आ जाता है ।
दरअसल उन्हें प्यार हो जाता है। लेकिन निर्देशक लव रंजन इनको ऐसी बदमाश लड़कियों से मिलवाता है जिन्हें पा कर थोड़े ही दिनों बाद ये सोच में पड़ जाते हैं कि वो कुंवारे ही अच्छे थे। फिल्म की शुरूआत कुछ ठीक ठाक होती है जो इन तीनों लड़कों की दोस्ती पर केंद्रित है।
लिक्विड जिसका किरदार निभाया है दिव्येंदू शर्मा ने, एक ऐसा लड़का है जो नौकरी से नफरत करता है। रायो भकीर्ता है चौधरी के किरदार में जो बस अपनी ही दुनिया में मग्न रहने वाला गिटारिस्ट है। कार्तिकेय तिवारी एक फनी से लड़के रजत के किरदार में है। तीनों दोस्तों की केमिस्ट्री देख कर आपको कहीं न कहीं फिल्म 'दिल चाहता है' याद आएगी।
पर जैसे ही ये लड़कियों के चक्कर में पड़ते हैं सब कुछ उथल पुथल हो जाता है। आप इस फिल्म को न तो एक बढ़िया फिल्म कहेंगे और न ही मस्ती मजाक भरी। तीनों हिरोइन नुसरत बरूचा, सोनाली सहगल, इशिता शर्मा को ऐक्टिंग करनी बिल्कुल नहीं आती। ये फिल्म हमारी आज कल की शहरी जिंदगी के रिश्तों पर आधारित है पर इसमें ज्यादातर जोक बेकार ही हैं। फिल्म के शुरूआती सीन में दिव्येंदू शर्मा आपको कुछ हंसाते हैं पर लम्बी सी इस फिल्म झलने के लिए ये काफी नहीं है। मैं प्यार का पंचनामा को पांच में से डेढ़ स्टार देता हूं।
manojjaiswalpbt@gmail.com
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nice
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