मनोज जैसवाल :शनिबार मई 28, 2011,16:48
फिल्मः कशमकश
कलाकारः रिया सेन, राइमा सेन, प्रसन्नजीत चटर्जी
निर्देशक : रितुपर्णो घोष
रेटिंग: 3.5
रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित रचना नौका डूबी पर अब तक कई फिल्मों का निर्माण किया जा चुका है। इसकी खास वजह यही है कि इस रचना में एक ऐसा गुर रहस्य छुपा है, जिसे देख कर दर्शक भूल जाते हैं कि वे किसी फिल्म की दुनिया में है।
कश्मकश फिल्म सुभाष घई द्वारा निर्मित बांग्ला फिल्म नौका डूबी का हिंदी संस्करण है। इस फिल्म की ही यह खूबसूरती थी, जिसकी वजह से इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में भी शामिल किया गया था। जिस तरह रवींद्र अपनी रचनाओं में बेहद सृजनशील नजर आते थे। उसी तरह इस फिल्म में भी कल्पनाशीलता, सृजनशीलता का खास ख्याल रखा गया है।
रितुपर्णो घोष तो इस विधा में हमेशा से ही माहिर रहे हैं। अपनी कहानी, उसकी सोच, और उसका प्रस्तुतिकरण हमेशा ही लाजवाब होता है। कुछ इसी का मिश्रण कश्मकश में भी नजर आया है। इस फिल्म के सारे किरदारों ने जीवंत अभिनय किया है। ऐसा लग रहा है मानो सबको बस रवींद्रनाथ टैगोर ने आकर खुद कह दिया है कि आप यह किरदार हैं आप यह किरदार हैं।
सभी किरदारों ने सजीव प्रस्तुतिकरण दिया है। सुभाष घई जैसे निर्देशकों द्वारा इस तरह की फिल्मों को हिंदी दर्शक तक पहुंचाने के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए। इस फिल्म के कई दृश्य में आपको पुराना बनारस और कोलकाता तब कलकत्ता था नजर आता है। फिल्म के लोकेशन, पहनावे में भी रितुपर्णो ने खूबसूरती से वह अंदाज बयां किया है। हिंदी फिल्मों के निर्देशकों को इस फिल्म से खासतौर से यह सीख जरूर लेनी चाहिए कि लोकेशन तैयार करते वक्त किस तरह बारीकियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
फिल्म में रवींद्र संगीत की अहमियत को खूबसूरती से उकेरने की कोशिश की गयी है। उस पर गुलजार के लिखे गीत लाजवाब हैं। कश्मकश आपको फ्लैशबैक में लिये चलती है। जहां उस दौर में भी लोगों के बीच एक अलग तरह की समझदारी की कहानी है। बाप-बेटी, के बीच की कहानी व उनकी समझ को कहानी में खूबसूरती से पिरोया गया है। टैगोर की रचनाओं की यह भी खासियत है कि उनकी रचनाओं में महिला पात्रों को अलग तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
इस लिहाज से भी यह फिल्म देखने उपयुक्त है। दोनों बहनों रया और राइमा ने फिल्म में कमाल का अभिनय किया है। वैसे दर्शक जो वाकई कलात्मक फिल्में देखना पसंद करते हैं और पुराने दौर की किस्से कहानियां सुनना चाहते हैं। वे इसे जरूर देखें।
कलाकारः रिया सेन, राइमा सेन, प्रसन्नजीत चटर्जी
निर्देशक : रितुपर्णो घोष
रेटिंग: 3.5
रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित रचना नौका डूबी पर अब तक कई फिल्मों का निर्माण किया जा चुका है। इसकी खास वजह यही है कि इस रचना में एक ऐसा गुर रहस्य छुपा है, जिसे देख कर दर्शक भूल जाते हैं कि वे किसी फिल्म की दुनिया में है।
कश्मकश फिल्म सुभाष घई द्वारा निर्मित बांग्ला फिल्म नौका डूबी का हिंदी संस्करण है। इस फिल्म की ही यह खूबसूरती थी, जिसकी वजह से इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में भी शामिल किया गया था। जिस तरह रवींद्र अपनी रचनाओं में बेहद सृजनशील नजर आते थे। उसी तरह इस फिल्म में भी कल्पनाशीलता, सृजनशीलता का खास ख्याल रखा गया है।
रितुपर्णो घोष तो इस विधा में हमेशा से ही माहिर रहे हैं। अपनी कहानी, उसकी सोच, और उसका प्रस्तुतिकरण हमेशा ही लाजवाब होता है। कुछ इसी का मिश्रण कश्मकश में भी नजर आया है। इस फिल्म के सारे किरदारों ने जीवंत अभिनय किया है। ऐसा लग रहा है मानो सबको बस रवींद्रनाथ टैगोर ने आकर खुद कह दिया है कि आप यह किरदार हैं आप यह किरदार हैं।
सभी किरदारों ने सजीव प्रस्तुतिकरण दिया है। सुभाष घई जैसे निर्देशकों द्वारा इस तरह की फिल्मों को हिंदी दर्शक तक पहुंचाने के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए। इस फिल्म के कई दृश्य में आपको पुराना बनारस और कोलकाता तब कलकत्ता था नजर आता है। फिल्म के लोकेशन, पहनावे में भी रितुपर्णो ने खूबसूरती से वह अंदाज बयां किया है। हिंदी फिल्मों के निर्देशकों को इस फिल्म से खासतौर से यह सीख जरूर लेनी चाहिए कि लोकेशन तैयार करते वक्त किस तरह बारीकियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
फिल्म में रवींद्र संगीत की अहमियत को खूबसूरती से उकेरने की कोशिश की गयी है। उस पर गुलजार के लिखे गीत लाजवाब हैं। कश्मकश आपको फ्लैशबैक में लिये चलती है। जहां उस दौर में भी लोगों के बीच एक अलग तरह की समझदारी की कहानी है। बाप-बेटी, के बीच की कहानी व उनकी समझ को कहानी में खूबसूरती से पिरोया गया है। टैगोर की रचनाओं की यह भी खासियत है कि उनकी रचनाओं में महिला पात्रों को अलग तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
इस लिहाज से भी यह फिल्म देखने उपयुक्त है। दोनों बहनों रया और राइमा ने फिल्म में कमाल का अभिनय किया है। वैसे दर्शक जो वाकई कलात्मक फिल्में देखना पसंद करते हैं और पुराने दौर की किस्से कहानियां सुनना चाहते हैं। वे इसे जरूर देखें।
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें