शुक्रवार आधी रात के वक्त दुनिया के नक्शे पर एक नया देश दक्षिण सूडान उभरा
at 19:31 |
मनोज जैसवाल : अफ्रीकी देश सूडान का दक्षिणी हिस्सा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप आधी रात से एक स्वतंत्र देश के रूप में वैश्विक मानचित्र पर अंकित हो गया। इस आजादी के लिए वर्षों तक संघर्ष करने वाली जनता ने पूरी गर्मजोशी से इस यादगार पल का स्वागत किया।
दक्षिण सूडान गणराज्य' के रूप में जाना जाने वाला यह देश विश्व बिरादरी का सबसे नया मेहमान है। संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय जगत में दक्षिण सूडान के आविर्भाव का स्वागत करते हुए कहा कि वह कानून व्यवस्था बनाए रखने ओर एक संवैधानिक व्यवस्था के निर्माण में उसकी मदद करेगा।
गत जनवरी में समूचे सूडान में हुए जनमत संग्रह के दौरान दक्षिणी हिस्से को अलग करने के प्रस्ताव को जनता ने भारी बहुमत से स्वीकार कर लिया था। उसके बाद से ही दक्षिण सूडान की स्वतंत्रता का रास्ता साफ हो गया था। लेकिन संसाधनों के बंटवारे और सेना की तेनाती को लेकर पिछले कुछ महीनों में उत्तर और दक्षिण सूडान के बीच लगातार तनातनी देखने को मिली थी।
बहरहाल इन चुनौतियों को पार करते हुए दक्षिण सूडान के लोगों का एक स्वतंत्र देश का नागरिक बनने का सपना कल आधी रात पूरा हो ही गया। इस मौके पर हजारों लोगों ने दक्षिण सूडान की राजधानी के रूप में चुने गए शहर जूबा की सड़कों पर बडी़ संख्या में निकलकर जश्न मनाया। उन्होंने गिरजाघरों में आयोजित विशेष प्रार्थना सभाओं में शिरकत करने के बाद सडकों पर नाच-गाकर अपनी खुशी का इजहार किया। लोगों ने एक-दूसरे को 'जन्मदिन' की मुबारकबाद भी दी।
शुक्रवार आधी रात के वक्त दुनिया के नक्शे पर एक नया देश दक्षिण सूडान उभरा। आजादी का जश्न मनाने के लिए जूबा में जलाई गई मोमबत्तियां।खुशी के इस मौके पर भी लोग दक्षिण सूडान की आजादी की लडा़ई लडने वाले सूडान पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट 'एसपीएलएम' को नहीं भूले और उन्होंने उसके समर्थन में जोरदार नारे लगाए। बहरहाल एसपीएलएम के पास ही इस नवस्वाधीन देश के शासन की कमान है।
एसपीएलएम ने वर्षों तक संसाधनों पर उत्तरी सूडान के वर्चस्व के खिलाफ संघर्ष किया था। लंबे समय तक चले इस संघर्ष के बाद ही वर्ष 2005 में दोनों पक्षों के बीच अंतरराष्ट्रीय निगरानी में एक शांति समझौता हुआ था। उसी समझौते की शर्तों के मुताबिक गत जनवरी में जनमत संग्रह कराया गया था।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिण सूडान को शुरुआती दिक्कतों से उबरने में मदद करने के लिए वहां पर सात हजार शांतिसैनिकों की तैनाती करने का फैसला किया है। संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के प्रतिनिधि पीटर विटिग ने कहा... यह दक्षिण सूडान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का सबूत है। हम चाहते हैं कि इस गरीब देश को एक व्यवस्था के विकास में मदद करने के लिए सात हजार शांतिसैनिक वहां रहें।
शानदार पोस्ट मनोज जी
जवाब देंहटाएंnice post manoj ji
जवाब देंहटाएंजागरूक जानकारी मनोज जी
जवाब देंहटाएंअब तो भारत ने भी मान्यता दे दी है
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